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TISS ने बीजेपी विरोधी दलित पीएच.डी छात्र को राष्ट्रद्रोह के आरोप में निलंबित किया

 24 Apr 2024

सरकार द्वारा वित्तपोषित संस्थान टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) ने रामदास प्रिंसी शिवानंदन नाम के एक दलित छात्र को संस्थान से निलंबित कर दिया है। संस्थान ने शिवानंदन को नियमों को तोड़ने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का दोषी बताया है। दूसरी तरफ़ छात्र संगठन प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (पीएसएफ) ने संस्थान की कार्रवाई को छात्र विरोधी बताया है। पीएसएफ ने कहा कि संस्थान भाजपा विरोधी आवाज़ों को दबाना चाहता है।



नियमों का उल्लंघन हुआ - संस्थान 

मुंबई स्थित,  टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस (टीआईएसएस) ने पीएचडी कर रहे दलित छात्र को ‘कदाचार और राष्ट्रविरोधी’ आरोपों के आधार पर दो सालों के लिए निलंबित कर दिया है। प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम(पीएसएफ) ने संस्थान पर आरोप लगाया कि शिवानंदन को इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने केंद्र की नयी शिक्षा नीति का विरोध किया था। लेकिन संस्थान का कहना है कि छात्र ने ‘छात्रों के अनुशासन नियमों’ का उल्लंघन किया है जिसके तहत शिवानंदन को निलंबित किया गया। 

संस्थान ने कहा कि शिवानंदन को 7 मार्च को कारण बताओं नोटिस भी जारी किया गया था, जिसमें विभिन्न गतिविधियों में शिवानंदन की भूमिका के बारे में पूछा गया, जिसके बाद 17 मार्च को गठित एक ‘समिति’ की सिफ़ारिशों पर ही निलंबन का निर्णय किया गया। समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर शिवानंदन को दो सालों के लिए संस्थान के परिसर में  प्रवेश को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।


निलंबन का आधार क्या रहा ?

शिवानंदन पर आरोप है कि उन्होंने पीएसएफ-टीआईएसएस के बैनर तले जो विरोध प्रदर्शन किया था, उससे संस्थान के नाम का दुरुपयोग हुआ है। संसथान के अनुसार पीएसएफ मान्यता प्राप्त छात्र संगठन नहीं है और उसने शिवानंदन का इस्तेमाल कर संस्थान के नाम का इस्तेमाल किया गया, जो कि नियमों के ख़िलाफ है। टीआईएसएस  शिक्षा मंत्रालय के तहत एक वित्त पोषित संस्थान है। दरअसल, शिवानंदन ने जनवरी में  नयी शिक्षा नीति के विरोध में प्रदर्शन किया था जो  16 छात्र संगठनों के संयुक्त मंच यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ़ इंडिया के आह्वान पर दिल्ली में हुआ था।

विरोध प्रदर्शन में ‘भारत बचाओ, भाजपा को अस्वीकार करो’ का नारा भी दिया गया था। संस्थान ने शिवानंदन के  उस सोशल मीडिया  पोस्ट पर भी आपत्ति जताई है, जिसमें छात्रों से 26 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म "राम के नाम" की स्क्रीनिंग में शामिल होने के लिए कहा गया था। संस्थान ने पोस्ट को राम मंदिर के उद्घाटन के विरोध में पाया है। डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘राम के नाम’ मशहूर फ़िल्मकार आनंद पटवर्धन ने बनाया है। इस डोक्यूमेंट्री को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। इसे दूरदर्शन पर भी प्रसारित किया जा चुका है।

पीएसएफ ने संस्थान पर आरोप लगाया है कि संस्थान भाजपा के प्रति असंतोष को दबाने का प्रयास कर रहा है।  नयी शिक्षा नीति का विरोध छात्रों के हितों के लिए किया गया था। पीएचडी छात्र शिवानंदन पीएसएफ के पूर्व महासचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा शिवानंदन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य हैं, जो पीएसएफ से जुड़ा है।  शिवानंदन एसएफआई महाराष्ट्र राज्य समिति के संयुक्त सचिव पद पर भी हैं।


संस्थान की कार्रवाई पिछड़े समाज के विरुद्ध

पीएसएफ ने आरोप लगाया है कि शिवानंदन पर की गयी कार्रवाई, हाशिये पर खड़े समाज से आये छात्र पर किया गया एक सीधा हमला है। संगठन का कहना है कि शिवानंदन एक होशियार छात्र है, जिन्हें नेट की प्रतियोगी परीक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सरकार ने स्कॉलरशिप भी दी है। इसके अलावा शिवानंदन छात्र हितों के लिए भी हमेशा आगे रहते हैं।